नाज़ुक ऐसा नहीं किसी का पेट मख़मल-ए-रंग-ए-गुल है गोया पेट नज़र आता है अक्स कुर्ती का आइने से भी है मुसफ़्फ़ा पेट दर्द-ए-सर खो दिया सबीहों का संदल-ए-सुब्ह का है तख़्ता पेट ये सबाहत ये हुस्न ये जल्वा वरक़-ए-सीम-मह है सारा पेट नाफ़ है साग़र-ए-मुराद ऐ गुल बादा-ए-हुस्न का है मीना पेट डर यही है न छलके साग़र-ए-उम्र है मय-ए-नाब का क़राबा पेट जाम ख़ाली नहीं है चेहरे से कम आज साक़ी ने मुफ़्त काटा पेट तुम ने दम दे के जब मिलाया फूल ख़ूब मिस्ल-ए-हबाब फूला पेट सैकड़ों निगले आदमी उस ने न भरा अज़दर-ए-ज़मीं का पेट सुर्ख़ कुर्ती से हो गया मालूम आफ़्ताब-ए-सहर है उन का पेट दम नहीं सीने में समाता है याद आता है उन का गोरा पेट देखने वाले क्यूँ न हों मजनूँ रंग में है एज़ार-ए-लैला पेट छातियाँ हैं तुरंज-ए-ज़र गोया लौह-ए-सीमीं है उस परी का पेट लाल नीफ़ा दिखा के गर्दूं को हाला-ए-मह का रंग लाया पेट शाद होते हैं देख कर आशिक़ सहर-ए-ईद का है नक़्शा पेट मू-ए-मिज़्गाँ हैं बाल सैली के आँखों के सामने है तेरा पेट बात मस्ती की हज़्म हो न सकी शीशा-ए-बादा का है हल्का पेट जान-ओ-दिल से 'मुनीर' सदक़ा है नहीं देखा है अब तक ऐसा पेट