नर्गिसीं आँख भी है अबरू-ए-ख़मदार के पास दूसरी और भी तलवार है तलवार के पास दुश्मनों का मिरी क़िस्मत से है क़ाबू मुझ पर यार के पास है दिल यार है अग़्यार के पास याद रखना जो हुई वादा-ख़िलाफ़ी उन की बिस्तरा आन जमेगा तिरी दीवार के पास क़ैदी-ए-ज़ुल्फ़ की क़िस्मत में है रुख़्सार की सैर शुक्र है बाग़ भी है मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास चेहरा भी बर्क़ भी दिल लेने में गेसू भी बला एक सा मोजज़ा है काफ़िर ओ दीं-दार के पास ग़ैर बे-जुर्म हैं और मैं हूँ वफ़ा का मुजरिम कौन आता भला मुझ से गुनहगार के पास क़ब्र में सोएँगे आराम से अब ब'अद-ए-फ़ना आएगा ख़्वाब-ए-अदम दीदा-ए-बेदार के पास उस की क्या वज्ह मिरे होते वहाँ क्यूँ न रहें क्यूँ रहे ज़ुल्फ़-ए-सियह आप के रुख़्सार के पास होशियारी से हो 'परवीं' चमन-ए-हुस्न की सैर दाम और दाना हैं दोनों रुख़-ए-दिलदार के पास