नशे में सहवन कर ली तौबा ऐसी भोली इलाही तौबा हज में जब याद आईं वो आँखें ताक़-ए-हरम पर रख दी तौबा वाइ'ज़ों से रिंदों में आई फिरती है बहकी बहकी तौबा क़स्में खा कर फिर से पीना मुँह का निवाला ठहरी तौबा दाम में फाँसा मौजा-ए-मय ने इक झटके में टूटी तौबा बहर-ए-गुनह से पार उतारा कश्ती-ए-रहमत ठहरी तौबा पी के 'मुनीर' अब बादा-ए-कौसर मस्त हुई है मेरी तौबा