नसीम-ए-सुब्ह-ए-बहार आए दिल-ए-हज़ीं को क़रार आए कली कली ले के मुँह-अँधेरे सबाहत-ए-रू-ए-यार आए उदास रातों की तीरगी में न कोई तारा न कोई जुगनू किसी का नक़्श-ए-क़दम ही चमके तो नूर का ए'तिबार आए ये शो'ला-सामानी-ए-तकल्लुम ये आइना-ख़ाना-ए-तबस्सुम जिगर से जैसे धुआँ सा उठ्ठे नज़र को जैसे ख़ुमार आए उसी की ख़ातिर ख़िज़ाँ-ज़दा दिल ने जामा-ए-चाक अपना बदला कि जश्न-ए-जम्हूर इन्क़िलाब-ए-चमन का आईना-दार आए