नए मौसम की बशारत हैं हम बज़्म-ए-इम्कान की ज़ीनत हैं हम हम से क्या आँख मिलाएँ मह-ओ-महर ज़र्रा-ए-ख़ाक की अज़्मत हैं हम हम से सैराब हवा क़र्या-ए-हुस्न चश्म-ए-बे-ताब की फ़ितरत हैं हम अपना क्या है कि रहे या न रहे हाँ मगर तेरी ज़रूरत हैं हम दस्तरस में है जहान-ए-सहरा अहल-ए-दिल अहल-ए-मोहब्बत हैं हम ध्यान में रहता है वो मुसहफ़-ए-गुल हर घड़ी महव-ए-इबादत हैं हम