नज़र में रहती है आवाज़ में पाई नहीं जाती तमन्ना वो है जो अल्फ़ाज़ में लाई नहीं जाती तिरी ज़ुल्फ़ों का सौदा जिस को चुन ले उस की ख़ुश-बख़्ती ये वो नागिन है जो हर दिल पे लहराई नहीं जाती मोहब्बत मशरब-ए-अहल-ए-वफ़ा में सर की बाज़ी है पलक तलवार के साए में झपकाई नहीं जाती करिश्मे अक़्ल के फैले हैं ज़र्रों से सितारों तक मगर फिर भी जुनूँ की कार-फ़रमाई नहीं जाती सुने दुनिया तिरे क़दमों की आहट दिल की धड़कन से ये वो धुन है कि जो हर साज़ पर गाई नहीं जाती ख़ुशा दर्द-ए-मोहब्बत हर ख़लिश जिस की हयात-अफ़्ज़ा वो कैसे दिल हैं जिन से चोट ये खाई नहीं जाती उमीदें शौक़ को जब तक न थोड़ा सा सहारा दें जबीं यूँ ही किसी के दर से टकराई नहीं जाती जवानी वो हसीं शय है कि जा कर फिर नहीं आती ये वो दिलकश कहानी है जो दोहराई नहीं जाती तसव्वुर मुंफ़सिल है और बसीरत सर-ब-ज़ानू है तिरी तस्वीर में तेरी अदा पाई नहीं जाती हक़ीक़त आप ही अपने को समझा दे तो समझा दे हमारी आप की कोशिश से समझाई नहीं जाती तिरे फ़ुर्क़त के मारों की तसल्ली किस से मुमकिन है तबीअ'त ख़ुद बहल जाती है बहलाई नहीं जाती मोहब्बत दर-हक़ीक़त इक ख़ुदा का राज़ है 'सफ़दर' ये वो गुत्थी है जो मंतिक़ से सुलझाई नहीं जाती