निगाह-ए-बद-गुमाँ है और मैं हूँ फ़रेब-ए-आशियाँ है और मैं हूँ शरीक-ए-बे-कसी आए कहाँ से ज़मीं पर आसमाँ है और मैं हूँ उधर क्या घूरती है कस्मपुर्सी मिरा अज़्म-ए-जवाँ है और मैं हूँ सरापा-गोश है सुब्ह-ए-शब-ए-तार किसी की दास्ताँ है और मैं हूँ घुटा जाता है दम ऐ सोज़-ए-एहसास तह-ए-दामन धुआँ है और मैं हूँ हवादिस अब जिसे चाहें सराहें नसीब-ए-दुश्मनाँ है और मैं हूँ क़फ़स नग़्मों से गूँज उठता है 'याक़ूब' उमीद-ए-ख़ुश-बयाँ है और मैं हूँ