वो ख़्वाब था जो ता'बीर कर दिया है मुझे अंधेरे रस्तों में तनवीर कर दिया है मुझे मैं लख़्त लख़्त थी जब तक न वो मिला था मुझे वो शख़्स जिस ने कि ता'मीर कर दिया है मुझे मिरे वजूद का हर साँस उस के नाम हुआ वो राँझा मन का मिरे हीर कर दिया है मुझे मिरे सिवा न किसी को मिला ये फ़ैज़-ए-नज़र अजब कि मालिक-ए-तक़दीर कर दिया है मुझे ख़ुदाए इश्क़-ओ-मोहब्बत ग़ुरूर 'निगहत' देख निगाह-ए-यार ने तस्वीर कर दिया है मुझे