निखर आई निखार आई सँवर आई सँवार आई

By nooh-narviNovember 11, 2020
निखर आई निखार आई सँवर आई सँवार आई
गुलों की ज़िंदगी ले कर गुलिस्ताँ में बहार आई
मशिय्यत को नहीं मंज़ूर दो दिन पारसा रखना
इधर की मैं ने तौबा और उधर फ़ौरन बहार आई


असीरान-ए-क़फ़स को वास्ता क्या इन झमेलों से
चमन में कब ख़िज़ाँ आई चमन में कब बहार आई
मुझे गुलशन से ऐ जोश-ए-जुनूँ सहरा को अब ले चल
यहाँ इस के सिवा किया है ख़िज़ाँ आई बहार आई


हमेशा बादा-ख़्वारों पर ख़ुदा को मेहरबाँ देखा
जहाँ बैठे घटा उट्ठी जहाँ पहुँचे बहार आई
53056 viewsghazalHindi