नींद आँखों में है कम कम मुझे आवाज़ न दो जाग जाएगा कोई ग़म मुझे आवाज़ न दो यूँ भी रफ़्तार-ए-दिल-ए-ज़ार है मद्धम मद्धम और हो जाएगी मद्धम मुझे आवाज़ न दो नीम-ख़ामोश है साज़-ए-रग-ए-जाँ का हर तार तार हो जाएँगे बरहम मुझे आवाज़ न दो बअ'द मुद्दत के ज़रा दिल को क़रार आया है जाने क्या दिल का हो आलम मुझे आवाज़ न दो