निशान क़ाफ़ला-दर-क़ाफ़ला रहेगा मिरा जहाँ है गर्द-ए-सफ़र सिलसिला रहेगा मिरा मुझे न तू ने मिरी ज़िंदगी गुज़ारने दी ज़माने तुझ से हमेशा गिला रहेगा मिरा सियह दिलों में सितारों की फ़स्ल उगाने को हुनर चराग़ की लौ से मिला रहेगा मिरा उजड़ते वक़्त से बर्बाद होती दुनिया से तिरे सबब से तअल्लुक़ दिला रहेगा मिरा न गुफ़्तुगू से ये लर्ज़िश गुमाँ की जाएगी अगर असास का पत्थर हिला रहेगा मिरा ये सोच कर कभी अक्स उस किरन का उतरा था इस आईना में सदा दिल खिला रहेगा मिरा 'रियाज़' चुप से बढ़े और दुख ज़रूरत के मुझे था ज़ोम ये घाव सिला रहेगा मिरा