नुमूद-ए-रंग-ओ-बू ने मार डाला उसी की आरज़ू ने मार डाला न दुनिया ही का रक्खा और न दीं का दिल-ए-मदहोश तू ने मार डाला तकल्लुम का फ़ुसूँ अल्लाहु-अकबर किसी की गुफ़्तुगू ने मार डाला न रूदाद-ए-हुबाब-ए-ज़िंदगी पूछ ख़िराम-ए-आब-जू ने मार डाला ख़ुदा वाइज़ से समझे हश्र के दिन हमें उस बे-वज़ू ने मार डाला ज़माने के 'अमीं' मुँह कौन आता ख़याल-ए-आबरू ने मार डाला