याद रखने का भी वा'दा हो ज़रूरी तो नहीं भूल जाने का इरादा हो ज़रूरी तो नहीं नाम अच्छा सा कोई हम ने रखा है लिख कर दिल का काग़ज़ अभी सादा हो ज़रूरी तो नहीं इस तबस्सुम को मिरे दुख की अलामत न समझ ये किसी ग़म का लबादा हो ज़रूरी तो नहीं यूँही इक बार कभी एक नज़र डाली थी उस को एहसास ज़ियादा हो ज़रूरी तो नहीं हाँ हिसाब-ए-ग़म-ए-दौराँ तो बहुत मुश्किल है और फिर उस का इआदा हो ज़रूरी तो नहीं बेश-क़ीमत है बहुत सुर्ख़ी-ए-ख़ून-ए-दिल भी रू-ब-रू जाम में बादा हो ज़रूरी तो नहीं सारी दुनिया के ख़ज़ाने भी मयस्सर हों जिसे हाथ भी उस का कुशादा हो ज़रूरी तो नहीं