पास हो कर सराब लगता है साथ है और ख़्वाब लगता है ग़ैर की बात झट से मानेगा मेरा कहना ख़राब लगता है उस के घर है अजीब सी ख़ुश्बू और ख़ुद भी गुलाब लगता है मुझ को ही दे गया अँधेरा क्यूँ सब को वो माहताब लगता है वो जो ख़ुश ख़ुश दिखाई देने लगा मेरे ग़म का जवाब लगता है