पड़े हैं ज़ख़्म-ख़ुर्दा मेहरबानी माँगने वाले बहुत नादिम हैं उस से ज़िंदगानी माँगने वाले यहाँ तो सब की ख़्वाहिश एक सी है रोटियाँ, सिक्के मेरे युग में नहीं ख़्वाब-ए-जवानी माँगने वाले कोई तख़्लीक़ हो ख़ून-ए-जिगर से जन्म लेती है कहानी लिख नहीं सकते कहानी माँगने वाले लगाएँ जो सरों की बाज़ियाँ ये काम उन का है इमामत क्या करेंगे झुक के पानी माँगने वाले