पहले मुझे निसाब से ग़ाफ़िल किया गया फिर इम्तिहाँ के वास्ते क़ाइल किया गया सारी सिपाह दूसरी जानिब चली गई मुझ को जो मेरे मद्द-ए-मुक़ाबिल किया गया फिर ख़्वाहिशों को दिल की सिफ़ारिश पे एक दिन ख़्वाबों की ख़ानक़ाह में दाख़िल किया गया कुछ कश्तियों ने मिल के जज़ीरे बना लिए दरिया जो साहिलों के मुमासिल किया गया आइंदा मर्हबों से उलझना नहीं कभी ख़ैबर से क्या सबक़ यही हासिल किया गया शौक़-ए-सफ़र के इज़्न-ए-जुनूँ से मिलाप पर कितने ही रास्तों को मनाज़िल किया गया तफ़्सीर मत्न-ए-ख़ौफ़ की लिक्खी न जा सकी वहशत भरा सहीफ़ा जो नाज़िल किया गया रेग-ए-तलब को सत्ह-ए-क़नाअत पे डाल कर दरया-ए-मुम्किनात का साहिल किया गया लफ़्ज़ों की शक्ल ख़ून बहेगा तमाम उम्र मैं तेज़ धार वक़्त से घायल किया गया