पैमाना-ए-हाल हो गए हम By Ghazal << मज़ा लम्स का बे-ज़बानी मे... मैं वस्ल में भी 'शेफ़... >> पैमाना-ए-हाल हो गए हम गर्दिश में मिसाल हो गए हम तकमील-ए-कमाल होते होते तम्हीद-ए-ज़वाल हो गए हम इम्कान-ए-वजूद के सफ़र पर निकले तो मुहाल हो गए हम आईना-ए-कर्ब लफ़्ज़-ओ-मा'नी फ़रहंग-ए-मलाल हो गए हम पहले तो रहे हक़ीक़त अफ़रोज़ फिर ख़्वाब-ओ-ख़याल हो गए हम Share on: