पलकों पर नम बाक़ी है अब तक वो ग़म बाक़ी है ज़ख़्म कभी भर जाएँगे वक़्त का मरहम बाक़ी है कैसा सितम है वस्ल के बीच हिज्र का आलम बाक़ी है पिछली मोहब्बत का तुझ में रंग इक मद्धम बाक़ी है चलते रहना है मुझ को जब तक ये दम बाक़ी है एक तअ'ल्लुक़ है ये भी नफ़रत बाहम बाक़ी है