वो रम-शिआ'र मिरा शोख़-दीदा आया था वो इशवा-संज कशीदा कशीदा आया था किया है चश्म-ए-मुरव्वत ने आज माइल-ए-मेहर मैं उन की बज़्म से कल आबदीदा आया था जो राज़-ए-दिल था वो ख़ल्वत में सब कहा हम ने कोई भी साथ नहीं था जरीदा आया था वो मुर्ग़-ए-बिस्मिल-ए-उल्फ़त फ़िदा-ए-हुस्न तिरा ब-शक्ल-ए-ताइर-ए-रंग-ए-परीदा आया था वो तेरे जज़्ब-ए-मोहब्बत का शौक़-ए-मस्ताना जुनूँ-लिबास गरेबाँ दरीदा आया था तुम्हारा बुलबुल-ए-कश्मीर शेफ़्ता शैदा बहार-ए-जल्वा लिए इक क़सीदा आया था सितम-ज़रीफ़ हैं पीर-ए-मुग़ाँ भी मय-ख़्वारो कहाँ सुरूर में 'साक़ी' न-दीदा आया था