शो'ला-ए-दिल बुझा के देख लिया आरज़ू को मिटा के देख लिया अपने हाथों जिसे सँवारा था वो चमन भी लुटा के देख लिया दिल का जो ज़ख़्म था चराग़ बना आँसुओं को छुपा के देख लिया चारागर तेरे इम्तिहाँ के लिए ज़ख़्म पर ज़ख़्म खा के देख लिया मुस्कुराए तो साथ थी दुनिया अश्क तन्हा बहा के देख लिया