निपटेंगे दिल से मार्का-ए-रह-गुज़र के ब'अद लेंगे सफ़र का जाएज़ा ख़त्म-ए-सफ़र के ब'अद उठने को इन की बज़्म में सब की नज़र उठी इतना मगर कहूँगा कि मेरी नज़र के ब'अद सब ज़ोर हो रहा है मिरी सर-कशी पे सर्फ़ क्या होगा हाल-ए-दार-ओ-रसन मेरे सर के ब'अद कू-ए-सितम से गुज़रें तो शोरीदगान-ए-इश्क़ हँसने लगेंगे ज़ख़्म-ए-जिगर ज़ख़्म-ए-सर के ब'अद बर्क़-ए-सितम को नज़्र करूँ भी तो क्या करूँ अब क्या रहा है आग लगाने को घर के ब'अद बे-ख़्वाब कर रहे हैं शब-ए-ग़म के मरहले आँखें झपक न जाएँ तुलू-ए-सहर के ब'अद होगा तवील और भी अफ़साना-ए-वफ़ा अहल-ए-जफ़ा के तन्तना-ए-मुख़्तसर के ब'अद