पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है ऐ हवा तेरे अंदर छुपा कौन है फूल शबनम शफ़क़ चाँदनी कहकशाँ पर्दा-ए-हुस्न से झाँकता कौन है मस्लहत-कोश वो तो नहीं था मगर नुत्क़ को हाथ से रोकता कौन है इतने बदले हुए हैं कि हैरत में हूँ मेरे पीछे में उन से मिला कौन है ना-उमीदी ने मुझ को मुवह्हिद किया अब ख़ुदा के सिवा आसरा कौन है ये 'तपिश' की अना है नहीं तो यहाँ ग़म को हँस हँस के यूँ झेलता कौन है