पाँव में ख़ुश्बू के ज़ंजीर बनाई जाए आज सोचा तेरी तस्वीर बनाई जाए अपनी मर्ज़ी से चले आएँ दिवाने सारे हो कशिश जिस में वो ज़ंजीर बनाई जाए बिन कहे बात समझ ले तू मेरी मैं तेरी चल मोहब्बत में वो तासीर बनाई जाए क़ाफ़िले प्यास के गुज़़रेंगे इसी रस्ते से सहरा में पानी की तहरीर बनाई जाए ख़्वाब तो देख लिए तू ने बहुत से 'ज्योति' वक़्त आया है की ता'बीर बनाई जाए