पेड़ एहसास का जज़्बात का फल देता है ये शजर आज का हासिल हमें कल देता है हौसला कहते हैं इक राह-ए-अमल देता है हौसला-मंद तो तक़दीर बदल देता है सब की यकसाँ ही गुज़र जाए कहाँ है मुमकिन वो तो नादान है जो मूंछ पे बल देता है साँप फ़ितरत में फ़क़त साँप हुआ करता है दूध पी लेता है और ज़ह्र उगल देता है ऐ 'असर' कहती है दुनिया जिसे इंसाँ का ज़मीर फ़ैसला जब भी ये देता है अटल देता है