फिर गिरानी की है यलग़ार ख़ुदा ख़ैर करे बढ़ गई गर्मी-ए-बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे तंग आ जाएँगे मुफ़्लिस तो यक़ीनन इक दिन होंगे फिर बरसर-ए-पैकार ख़ुदा ख़ैर करे नक्सली करते रहे मौत का तांडव हर-सू और सोती रही सरकार ख़ुदा ख़ैर करे कल तलक जिस को न था बात भी करने का शुऊ'र अब है वो साहब-ए-गुफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे आज फिर लुट गई इस्मत किसी दोशीज़ा की सुर्ख़ है सुर्ख़ी-ए-अख़बार ख़ुदा ख़ैर करे जिस के दम से हमें आज़ादी मयस्सर आई वो ज़बाँ हो गई लाचार ख़ुदा ख़ैर करे इंतिख़ाबात का एलान हुआ है जब से होश खो बैठे हैं अशरार ख़ुदा ख़ैर करे जिन की इज़्ज़त थी बड़ी मुल्क के नेताओं में वो भी निकले हैं सियहकार ख़ुदा ख़ैर करे हम को मतलूब थे 'बेदार' वफ़ादार मगर हम पे हावी हैं रिया-कार ख़ुदा ख़ैर करे