पीले पीले चेहरों में उभरी है आज की शाम कर सकता हूँ क्यूँकर मैं ये शाम तुम्हारे नाम सैल-ए-ज़माँ में डूब गए मशहूर-ए-ज़माना लोग वक़्त के मुंसिफ़ ने कब रक्खा क़ाएम उन का नाम शोहरत-ए-आम में ज़र्रीं तम्ग़े थे दिल की तस्कीन लेकिन क़ब्र के कतबे पर कब दर्ज हुए इनआ'म जश्न-ए-मुरव्वत में लोगों की ऊँची उड़ी पतंग मर्ग-ए-मुरव्वत में उन सब का 'अनवर' रोया नाम