बाक़ी सब कुछ दुनिया में बे-मा'नी है मेरी नज़र में इक तू ही ला-सानी है रोज़ बदल कर चेहरे क्यूँ दिखलाता है तेरी हर सूरत जानी-पहचानी है साथ रहे ज्यूँ कोई किनारे नदिया के क़िस्मत की भी देखो क्या मन-मानी है दर्द का मौसम फिर से लौटा है शायद आँखों के दरिया पर ख़ूब रवानी है ग़म आँसू तन्हाई शिकवे बेचैनी इस दुनिया में सब की एक कहानी है