पूछते हैं बज़्म में सुन कर वो अफ़्साना मिरा आप हैं कहती है दुनिया जिस को दीवाना मिरा बस यही है मुख़्तसर तशरीह हुस्न-ओ-इश्क़ की वो तुम्हारी दास्ताँ है ये है अफ़्साना मिरा हैं तसव्वुर में तिरे जल्वे तिरी रानाइयाँ रौनक़-ए-सद-अंजुमन है आज वीराना मिरा ख़ुद मिरे आँसू ही उस के हक़ में शो'ले बन गए बर्क़-ओ-बाराँ से तो था महफ़ूज़ काशाना मिरा खिल रहा है मेरे चेहरे से मिरा अहवाल-ए-ग़म कह रही है मेरी ख़ामोशी ही अफ़्साना मिरा मैं नहीं क़ाइल किसी तक़लीद का ऐ रहबरो हर क़दम उठता है मंज़िल में हरीफ़ाना मिरा मौजज़न है ख़ून-ए-दिल अब चश्म-ए-तर में ऐ 'जलीस' बादा-ए-गुल-गूँ से है लबरेज़ पैमाना मिरा