पुर-नूर ख़यालों की बरसात तिरी बातें हर शख़्स ये कहता है नग़्मात तिरी बातें रुख़्सार हसीं दर्पन आँखों में हया रौशन किरदार तिरा संदल जज़्बात तिरी बातें सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो जहाँ कम है सदियों को बना देगी लम्हात तिरी बातें अब ख़ुद से भी मिलने की फ़ुर्सत ही कहाँ हम को हर शाम तिरी महफ़िल हर रात तिरी बातें नज़रें जो उठा दो तुम तारे भी चमक जाएँ और चाँद को दे जाए सौग़ात तिरी बातें आ जाती है मिलने को हर रात हमें 'ज़ाकिर' फूलों की रिदा ओढ़े बारात तिरी बातें