प्यार का दर्द का मज़हब नहीं होता कोई का'बा-ओ-दैर से मतलब नहीं होता कोई सच तो ये है कि मैं हर बज़्म में तन्हा ही रहा यूँ मगर पास मिरे कब नहीं होता कोई जान-ओ-ईमाँ सही सब कुछ सही तू मिरे लिए हाए किस मुँह से कहूँ सब नहीं होता कोई एक साया था जिसे मैं ने पकड़ना चाहा वो जो होता था कोई अब नहीं होता कोई चाँदनी फूल हवा जाम सितारे ख़ुश्बू ज़हर के नाम हैं जिस शब नहीं होता कोई मुझ को ख़ुद मुझ से भी मिलने नहीं देती दुनिया छुप के मिलता हूँ कभी जब नहीं होता कोई जिस को मिल जाए ये दौलत हो मुबारक उस को शे'र सब के लिए मंसब नहीं होता कोई