प्यार कर पाऊँ मैं अब ऐसा नहीं हो पाऊँगा चाहता तो हूँ मगर तेरा नहीं हो पाऊँगा मुझ सा दुनिया में तलाशे फिर रही हो तो सुनो अब मैं ख़ुद भी चाहूँ तो वैसा नहीं हो पाऊँगा कूज़ा-गर मुझ को बनाते वक़्त इतना ध्यान रख मैं बिना महबूब के पूरा नहीं हो पाऊँगा बा'द माँ के भी मैं प्यारा तो हूँ लाखों का मगर अब किसी की आँख का तारा नहीं हो पाऊँगा उस ने जब छोड़ा था मेरी 'उम्र थी इक्कीस बरस तब से इक्कीस का हूँ मैं बूढ़ा नहीं हो पाऊँगा