प्यार मुझ को मिला तेरा सौग़ात में जीत मेरी हुई इश्क़ की मात में अपने हाथों को तुम दो मिरे हाथ में साथ देने का वा'दा करो साथ में ये दरख़्त इतनी गर्मी तपन झेल कर उठ खड़े होंगे दोबारा बरसात में तोड़ कर दिल मिरा वो भी चलते बने जिन पे आया था दिल इक मुलाक़ात में ना बुझेंगे मिरे हौसलों के चराग़ ऐ हवाओं ज़रा रह लो औक़ात में जाँ से प्यारे थे जो भी तिरे 'मुंतज़िर' वो ख़फ़ा हो गए बस ज़रा बात में