प्यारी सुहाती है अभरन सूँ भारी तू जागा करे मन में छंद सूँ प्यारी ऊ चंचल कूँ देखिया हूँ हो गुन में माहिर भुलाई है तू आशिक़ाँ कूँ ऊ तारी मोहिब्बाँ के मन लिब्दे हैं तुज सूँ दाएम घुली उन नयन में बिरह की ख़ुमारी मदन बान सान्दे है छनदाँ सूँ मोहन हुए आशिक़ाँ दिल के उस थे शिकारी नयन सूँ नयन लाख मोही हूँ पिव पर कि तन मन अपस उस के अंग पर थे वारी सजन के चरण पर रखी सीस अपना जगत कूँ पिया ध्यान में मैं बिसारी नबी सदक़े 'क़ुतबा' पछाँया है तुज कूँ कि सब में है तूँ उस की मन की प्यारी