क़ैद हुए जो लोग अपनी मन-मानी में देख रहे हैं दुश्वारी आसानी में इल्म सहीफ़ा क्या दे पढ़ने वालों को वक़्त तो गुज़रा सिर्फ़ वरक़-गर्दानी में आग में झोंकेंगे वो अपनी मेहनत को राई की खेती जो करते हैं पानी में पाँच पहर की सज्दा-रेज़ी है लेकिन नूर-कुशा आसार नहीं पेशानी में ग़र्क़ वो होगा दरिया में या तैरेगा फेंक के पहले पत्थर देखो पानी में गुप्त धनों का हाल बताया चोरों को लोग वही जो चौकस थे निगरानी में आँख खुली जो सुब्ह सवेरे तो 'नादिम' घोर अंधेरा भी देखा ताबानी में