जता न मेरे तईं अपना तू हुनर वाइ'ज़ तू अपने फ़ेअ'ल से मुँह अपना ख़ाक भर वाइ'ज़ नसीहत औरों को करता है चढ़ के मिम्बर पर मगर नहीं है तिरे दिल पे कुछ असर वाइ'ज़ ज़बाँ पे वा'ज़ है और दिल तिरा है इस्तिग़्लाज़ ब-वा'ज़-ए-बेहूदा मत बाँध तू कमर वाइ'ज़ अमल ब-वा'ज़ कर अपने ब-सिद्क़-ओ-दिल वर्ना तू अपने हाल को देखेगा द-हशर वाइ'ज़ बढ़ा के रीश को अपनी भी जूँ दुम-ए-ताऊस ये किस ख़याल पे भूला है अब्ला-ख़र वाइ'ज़ ख़ुदा करीम है चाहेगा जिस को बख़्शेगा किसी पे ता'न की अंगुश्त तू न धर वाइ'ज़ तू अपने वा'ज़ पे वाइ'ज़ न भूल सच ही नहीं कि राज़-ए-इश्क़ से तेरे तईं ख़बर वाइ'ज़ मुक़ाबला ब-बहस मत कर अहल-ए-रिंदाँ से कि जिस में आप के हो रीश का ज़रर वाइ'ज़ कलाम-ए-बे-नमक-ओ-बे-असर से तू अपने ख़राब मत करे ख़िल्क़त ख़ुदा से डर वाइ'ज़ यहाँ वहाँ पे तुझे गर नजात है मंज़ूर किसी फ़क़ीर के क़दमों पर सर को धर वाइ'ज़ तू कहियो पीर-ए-मुग़ाँ से सलाम 'अफ़रीदी' अगर ब-कू-ए-ख़राबात हो गुज़र वाइ'ज़