कोई सुनता ही नहीं उन की सदा मेरे बा'द हाए क्या वक़्त अँधेरों पे पड़ा मेरे बा'द वक़्त से पहले ही अब उस की सहर होती है हुई मंसूख़ शब-ए-ग़म की सज़ा मेरे बा'द ग़ैर को उस ने शब-ए-वस्ल में डाँटा दो बार मिल गया मुझ को वफ़ाओं का सिला मेरे बा'द कोई जाता नहीं बच्चों की क़तारें ले कर हस्पतालों में वो चर्चा न रहा मेरे बा'द वेट लिफ्टर कोई मुझ सा न हुआ जो पैदा कौन उठाएगा तिरे नाज़ बता मेरे बा'द ख़ूँ है दिल ख़ाक में अहवाल-ए-बुताँ पर या'नी किस का ये जा के दबाएँगे गला मेरे बा'द अपनी महरूमी-ए-क़िस्मत पे हँसी आती है दूध बाज़ार में ख़ालिस भी बिका मेरे बा'द मेरे मातम में नहीं अपनी रक़म के ग़म में शहर का बनिया सियह-पोश हुआ मेरे बा'द उन की तफ़रीह का सामान-ए-तरब था मैं ही डॉक्टर लोग हैं जीने से ख़फ़ा मेरे बा'द रस्म-ए-इफ़्लास की तहज़ीब थी मुझ से क़ाएम उठ गई दहर से जीने की अदा मेरे बा'द