रात भी तेरा ध्यान भी हम भी चाँद भी आसमान भी हम भी अपनी अपनी अना की क़ैद में हैं ख़ाली ख़ाली मकान भी हम भी खो गए गुम-रही के सहरा में मंज़िलों के निशान भी हम भी साया साया तमाज़तों के हुजूम धूप भी साएबान भी हम भी एक सच एक वाहिमा इक झूट वो भी उस का गुमान भी हम भी अपनी अपनी सक़ाफ़तों के अमीन ग़ालिब-ए-ख़ुश-बयान भी हम भी मस्लहत के हिसार में ऐ 'मौज' क़ैद उर्दू ज़बान भी हम भी