रात पड़े घर जाना है सुब्ह तलक मर जाना है जाग के पछताना है बहुत सोते में डर जाना है जाने से पहले हम ने शोर बहुत कर जाना है सारे ख़ून-ख़राबे को आँखों में भर जाना है अंधों ने बुलवाया है भेस बदल कर जाना है छे नज़्में जुर्माना था एक ग़ज़ल हर्जाना है लड़की अच्छी है 'अल्वी' नाम उस का मरजाना है