रातों में जगने के लिए और चैन खोने के लिए हम ने मोहब्बत यार की बीमार होने के लिए कल हम ने जब तारे गिने और गुफ़्तुगू की चाँद से सारे चराग़ों ने कहा था हम से सोने के लिए हम बे-सबब टकरा गए थे इश्क़ के तूफ़ान से था टूटना भी लाज़मी ख़ुद को संजोने के लिए नूर-ए-जहाँ हैं और भी शीरीं-ज़बाँ हैं और भी इक हम ही क्यों उस को मिले फिर जादू टोने के लिए इस ज़िंदगी के ग़म का क्या है आज है कल हो न हो फिर क्यों गवाएँ वक़्त हम कुछ ख़्वाब बोने के लिए सच में उन्हें भी इश्क़ है हम से अजी ये क्या कहा या'नी कि वो भी आ गए बर्बाद होने के लिए अब दूर होते जा रहे हैं 'रीत' हम से रिश्ता सब धागा कोई अब चाहिए रिश्ता पिरोने के लिए