हर आइने ने कहा रुख़्सत-ए-ग़ुबार के बअ'द यहाँ तो कुछ भी नहीं है जमाल-ए-यार के बअ'द ज़माना ज़ेर-ए-नगीं था रज़ा-ए-यार के बअ'द वो इख़्तियार मिला तर्क-ए-इख़्तियार के बअ'द ये मानता हूँ अदब शर्त-ए-इश्क़ है लेकिन ये होश किस को रहेगा निगाह-ए-यार के बअ'द परों से मुँह को छुपा कर क़फ़स में आ बैठा चमन का हाल न देखा गया बहार के बअ'द वो जाम जाम नहीं हासिल-ए-दो-आलम है जो दस्त-ए-शौक़ में आया है इंतिज़ार के बअ'द ग़म-ए-फ़िराक़ की मंज़िल 'रईस' ख़त्म हुई अब आगे जल्वे ही जल्वे हैं हिज्र-ए-यार के बअ'द