रहती है सब के पास तन्हाई फिर भी है क्यूँ उदास तन्हाई दिल नहीं लगता फिर कहीं उस का आ गई जिस को रास तन्हाई इश्क़ ने फेंका था पहन के उसे पहने है जो लिबास-ए-तन्हाई साथ सब का दिया है अब लेकिन ख़ुद है कितनी उदास तन्हाई ज़िंदगी-भर के साथी हैं मेरे जाम साक़ी गिलास तन्हाई कौन जाने हुआ है क्या 'इंद्र' रहती है क्यूँ उदास तन्हाई