रहीन-ए-मिन्नत-ओ-एहसान-ए-यार मैं भी हूँ फ़रेब-ख़ुर्दा-ए-फ़स्ल-ए-बहार मैं भी हूँ मुझे भी लेते चलो अपने साथ दीवानो निसार-ए-अज़्मत-ए-ज़ंजीर-ओ-दार मैं भी हूँ सुना है रंग-ए-बहाराँ निखरने वाला है ये देखने के लिए बे-क़रार मैं भी हूँ इधर भी देख ले ऐ मलिका-ए-बहार-ए-ग़ज़ल कि तेरी चाह में इक दिल-फ़िगार मैं भी हूँ तिरे ख़याल के दर पर जबीन-ए-दिल रख कर ज़माना बीत गया अश्क-बार मैं भी हूँ रुख़-ए-हयात में नश्तर उतारने वाले ये सोच ले कि तिरा राज़दार मैं भी हूँ जहाँ पे सिर्फ़ मोहब्बत का राज है 'अख़्तर' उसी दयार का एक ख़ाकसार मैं भी हूँ