रहने दे शब अपने पास मुझ को औरों सा न कर क़यास मुझ को रह जा कि कहूँगा हाल दिल का आ जाएँ तनिक हवास मुझ को दिल नाज़ुक ओ कार-ए-इश्क़ दर-पेश अपना है निपट हिरास मुझ को या-रब गया कौन याँ से मेहमाँ लगता है ये घर उदास मुझ को महरम से तू सुनियो हाल मेरा नईं ताक़त-ए-इल्तिमास मुझ को हैरत ने किया है यक जहाँ का जूँ आईना रू-शनास मुझ को को जामा-ए-ख़ाक-ओ-ख़ूँ कि 'क़ाएम' सजता था वही लिबास मुझ को