राज़ में रक्खेंगे हम तेरी क़सम ऐ नासेह ले निकाल अब वही गाँजे की चिलम ऐ नासेह अब ख़ुदा के लिए रख हम पे करम ऐ नासेह हैं परेशाँ तिरी बकवास से हम ऐ नासेह झुर्रियाँ रुख़ की जो पैग़ाम-ए-क़ज़ा लाई हैं कब तलक जाओगे तुम सू-ए-अदम ऐ नासेह बादा-नोशों को न समझाने की कोशिश करना वर्ना फिर होगा तिरा नाक में दम ऐ नासेह ब'अद मुद्दत के मिला है तो चला-चल मिरे साथ मय-कदा याँ से है बस चार क़दम ऐ नासेह पूछ ले बीती है क्या रिंदों के हाथों इन पर ये जो हैं तेरे चचा शैख़-ए-हरम ऐ नासेह क्या हुआ ख़ैर तो है कैसी मुसीबत आई किस ने मारा तुझे क्यूँ आँख है नम ऐ नासेह भूल कर भी कभी मुँह उन के न लगना नादाँ कुछ ख़बर है बड़े बेढब हैं नियम ऐ नासेह तुझ को भी इश्क़-ए-बुताँ का मज़ा कुछ हो मालूम तेरे पल्ले हों अगर दाम-ओ-दिरम ऐ नासेह तू है क्या सारा जहाँ ख़ौफ़ से काँप उठता है 'शौक़' उठाते हैं जो शमशीर-ए-क़लम ऐ नासेह