राज़ ये सब को बताने की ज़रूरत क्या है दिल समझता है तिरे ज़िक्र में लज़्ज़त क्या है जिस में मोती की जगह हाथ में मिट्टी आए उतनी गहराई में जाने की ज़रूरत क्या है अपने हालात पे माइल-ब-करम वो भी नहीं वर्ना इस गर्दिश-ए-दौराँ की हक़ीक़त क्या है क़ाबिल-ए-दीद है आहिस्ता-ख़िरामी उन की आ दिखाऊँ तुझे ज़ाहिद कि क़यामत क्या है उन के दामन पे जो गिरता तो पता चल जाता ऐ मिरी आँख के आँसू तिरी क़ीमत क्या है बन के आए हैं ख़रीदार अरब के बूढ़े हाए मुफ़्लिस तिरी बेटी की भी क़िस्मत क्या है मुँह भी देखा नहीं मैं ने कभी मय-ख़ाने का तौबा तौबा मुझे तौबा की ज़रूरत क्या है