रक़्स-ए-ताऊस-ए-तमन्ना नहीं होने वाला अब यहाँ कोई तमाशा नहीं होने वाला सरफ़राज़-ए-जहाँ होना ही नहीं है मुझ को साहिबो मैं सग-ए-दुनिया नहीं होने वाला खींच लो दस्त-ए-तलब बंद करो चश्म-ए-उमीद वो तुनुक-ज़र्फ़ किसी का नहीं होने वाला मुझ को हंगामा-ए-दुनिया ने नवाज़ा है बहुत मैं तो ख़ल्वत में भी तन्हा नहीं होने वाला फिर भी मसरूफ़ हैं हम उस की तरफ़-दारी में जानते हैं वो हमारा नहीं होने वाला अब भी ताबिंदा हैं आईना-ए-अय्याम में हम अक्स अपना कभी धुँदला नहीं होने वाला रात भर जश्न-ए-मुलाक़ात मुनव्वर ही सही सुब्ह-दम कोई किसी का नहीं होने वाला यूँ तो सब कुछ है मगर ख़ेमा-ए-ख़ुश-ख़्वाबी में हम फ़क़ीरों का गुज़ारा नहीं होने वाला कोई मौसम भी हो शादाब रहेगा 'अख़्तर' शजर-ए-शौक़ फ़सुर्दा नहीं होने वाला