रखे शोकेस में या तोड़ डाले ये दिल मैं कर चुका उस के हवाले डरा पाएँगे क्या ये बरछी भाले तिरे जौहर हैं सारे देखे-भाले बहुत कुछ बोलने को है मगर अब ज़बाँ पर मस्लहत डाले हैं ताले तुम्हारे क़हक़हे तुम को मुबारक हमारे मुस्कुराने के हैं लाले जफ़ा जिस दिन से चिल्लाने लगी है वफ़ा भी कान में है तेल डाले तिरी आतिश-फ़िशाँ बातों को सुन कर उभर आए मिरे कानों में छाले अमाँ 'मुख़्तार' छोड़ो शायरी को कहाँ बैठे हुए हो रोग पाले