रक्खो ख़िदमत में मुझ से काम तो लो बात करते नहीं सलाम तो लो मय पियो तुम सुरूर हो मुझ को हाथ से मेरे एक जाम तो लो बात तुम ने नहीं की ग़ैर से कल सर पे अल्लाह का कलाम तो लो बंदा होता हूँ आप का बे-दाम होवे दरकार अगर ग़ुलाम तो लो नाज़-ओ-अंदाज़ हुस्न-ओ-ख़ूबी में कौन है तुम सा उस का नाम तो लो आप फ़रमाएँ जो बजा लाऊँ कभी मुझ से भी कोई काम तो लो मुँह से आने लगेगी इत्र की बू नाम-ए-गेसू-ए-मुश्क-ए-फ़ाम तो लो पहले कर लो रसाई ज़ुल्फ़ तलक सिलसिले को जुनूँ के थाम तो लो फिर तड़प लीजियो गिरफ़्तारो दम भर आराम ज़ेर-ए-दाम तो लो मय पियो जो नहीं पिलाते हो मुझ को देते नहीं हो जाम तो लो नाज़-बरदार दूसरा मुझ सा कौन आशिक़ है उस का नाम तो लो 'रिन्द' हाज़िर हैं शीशा-ओ-साग़र मय न समझो अगर हराम तो लो