रंग-बिरंगी यादों का गुल-दान बचा है ले दे कर मेरे जीने का बस इक सामान बचा है ले दे कर खाने पीने की सब चीज़ें महँगाई की नज़्र हुईं मेहमानों के आगे दस्तरख़्वान बचा है ले दे कर रद्दी काग़ज़ की क़ीमत में बच्चे उस को बेच न दें घर में जो 'ग़ालिब' का इक दीवान बचा है ले दे कर बाप की सारी जागीरें तो बाँट लीं मिल कर बेटों ने माँ के हिस्से में घर का दालान बचा है ले दे कर दौलत औरत और शोहरत की दीवानी इस दुनिया में मुश्किल से कुछ लोगों का ईमान बचा है ले दे कर क्या जाने बरसात कटेगी कैसे मेरे बच्चों की घर की ढेरी में थोड़ा सा धान बचा है ले दे कर चल कर अब 'दीदार' वहीं पर घर अपना आबाद करो गाँव में जो पुरखों का इक खलियान बचा ले दे कर