रंग लाएगी मेरी वफ़ा देखना मिट ही जाएगा हर फ़ासला देखना दावत-ए-दीद देते हैं मंज़र कई सामने तुम अगर हो तो क्या देखना मेरा मिलना कोई मसअला भी नहीं शर्त है करके कोशिश ज़रा देखना जा रहे तो हो तुम गाँव को छोड़ कर शहर की पहले आब-ओ-हवा देखना हर जगह मुझ को पाओगे अपने क़रीब तुम कहीं से भी दे कर सदा देखना मेरी ख़्वाहिश यही मेरा अरमाँ यही हर घड़ी तुम को हँसता हुआ देखना उस के पत्ते 'रज़ा' ज़र्द होने लगे मैं ने चाहा था जिस को हरा देखना